आजकल लाखों लोग Irritable Bowel Syndrome (IBS) से जूझ रहे हैं, लेकिन ये बीमारी कई बार डायग्नोज़ ही नहीं हो पाती। इसके लक्षण, ट्रिगर्स और ट्रीटमेंट को समझना बहुत ज़रूरी है ताकि इसे सही तरीके से मैनेज किया जा सके और आप अपनी लाइफ क्वालिटी को बेहतर बना सकें।
IBS क्या है?
IBS एक क्रॉनिक बीमारी है, जो हमारी बड़ी आंत (colon) को प्रभावित करती है। इसमें पेट में दर्द, ब्लोटिंग और बार-बार कब्ज़ या दस्त (या दोनों) की समस्या हो सकती है। लक्षणों के आधार पर IBS को तीन टाइप्स में बांटा जाता है:
IBS-D (Diarrhea-predominant)– अगर आपको ज़्यादा दस्त हो रहे हैं।
IBS-C (Constipation-predominant)– अगर ज़्यादा कब्ज़ की समस्या हो रही हो।
IBS-M (Mixed type)– अगर कभी दस्त, कभी कब्ज़ हो रहा हो तो।
IBS के लक्षण
पेट में दर्द और ऐंठन – ज्यादातर मोशन (stool) के बाद राहत मिलती है।
Bloating (पेट फूलना) – पेट भारी लगना या गैस बनना।
बॉवेल मूवमेंट में बदलाव – कभी दस्त, कभी कब्ज़।
स्टूल में म्यूकस आना – कई बार मोशन में कुछ सफेद या चिपचिपी सी चीज दिख सकती है।
IBS के कारण और रिस्क फैक्टर्स
Gut sensitivity – आंतों की ज्यादा सेंसिटिविटी बॉवेल मूवमेंट को प्रभावित कर सकती है।
Diet (खान-पान) – ज्यादा फैटी फूड, डेयरी, कैफीन, शराब, और आर्टिफिशियल स्वीटनर IBS ट्रिगर कर सकते हैं।
स्ट्रेस (तनाव) – डिप्रेशन और एंग्ज़ाइटी IBS को और बिगाड़ सकते हैं।
Infection – Gastroenteritis (गैस्ट्रोएंटेराइटिस) जैसी बीमारियां आगे चलकर IBS की वजह बन सकती हैं।
Hormonal changes – महिलाओं में पीरियड्स के दौरान IBS के लक्षण बढ़ सकते हैं।
1. अपने खान पान और जीवनशैली में बदलाव
Low FODMAP Diet – कुछ खास कार्बोहाइड्रेट से बचना जिससे पेट में गैस और दर्द न हो।
फाइबर ज्यादा लेना या कम करना – अगर IBS-C है तो फाइबर की मात्रा बढ़ाएं, और अगर IBS-D है तो फाइबर अपनी डाइट में कम करें।
प्रोबायोटिक्स – गट हेल्थ सुधारने और ब्लोटिंग कम करने में मदद कर सकते हैं।
रेगुलर एक्सरसाइज़– खासकर एरोबिक्स, जिससे Gut motility (गट मोटिलिटी) बेहतर होती है।
2. दवाइयां
एंटीस्पास्मोडिक्स (Antispasmodics)– जैसे Hyoscine और Dicyclomine, पेट दर्द और ऐंठन कम करने में मदद करते हैं।
लैक्सेटिव्स (Laxatives)– अगर कब्ज़ ज्यादा है तो फाइबर सप्लीमेंट या Polyethylene Glycol दिया जाता है।
Anti-Diarrheal – जैसे Loperamide (Imodium), IBS-D के लिए।
एंटीडिप्रेसेंट्स (Antidepressants) – कम डोज़ में ये गट हेल्थ और दर्द कंट्रोल करने में हेल्प कर सकते हैं, खासकर अगर स्ट्रेस फैक्टर हो तो।
3. साइकोलॉजिकल थेरेपी और स्ट्रेस मैनेजमेंट
CBT (Cognitive Behavioral Therapy)– स्ट्रेस और एंग्जाइटी को कम करने में मदद करता है।
हिप्नोथेरेपी (Hypnotherapy)– ब्रेन को रिलैक्स करके IBS के लक्षणों को कंट्रोल करने में हेल्प करता है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
क्या IBS कोई गंभीर बीमारी है?
नहीं, लेकिन इससे लाइफ क्वालिटी पर बहुत असर पड़ सकता है। सही ट्रीटमेंट से इसे मैनेज किया जा सकता है।
क्या IBS से वजन कम हो सकता है?
आमतौर पर नहीं, लेकिन कई बार आपकी डाइट में बदलाव और न्यूट्रिशन की कमी से वेट लॉस हो सकता है।
क्या IBS का कोई पर्मानेंट इलाज है?
नहीं, लेकिन डाइट, मेडिसिन और स्ट्रेस मैनेजमेंट से इसे कंट्रोल किया जा सकता है।
HealthPil कैसे मदद कर सकता है?
HealthPil आपको Gastroenterologists (गैस्ट्रोएन्टरोलॉजिस्ट्स) से कनेक्ट करता है जो IBS मैनेजमेंट में एक्सपर्ट हैं। अगर आपको या आपके परिवार या दोस्तों में किसी को बार बार कब्ज या दस्त की प्रॉब्लम हो रही है तो अपनी पर्सनलाइज़्ड ट्रीटमेंट प्लान के लिए अभी कंसल्टेशन शेड्यूल करें!
Disclaimer:
यह लेख केवल शैक्षिक उद्देश्य के लिए है। किसी भी मेडिकल स्थिति के लिए डॉक्टर से परामर्श ज़रूर लें।